Army Day 2023: 2014 से अब तक कितने जवान हुए शहीद, मिला इतना मुआवजा
दरअसल, भारत सरकार लोक सभा द्वारा 16 सितंबर 2020 को रक्षा मंत्रालय, सैन्य कार्य विभाग से वर्ष 2014 से ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवाने वाले सैन्य कर्मियों की संख्या और उनके परिवारों को भुगतान किए गए मुआवजे का ब्यौरा क्या है पर प्रश्न पूछा गया। जिसके जवाब में उत्तर कुमार रेड्डी ने निम्नलिखित आंकडें और मुआवजे का ब्यौरा पेश किया।ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवाने वाले सैन्य कर्मी 2014 से 2020 तक ड्यूटी के दौरान शहीद हुए सैन्य कर्मियों के आंकडें निम्न है वर्ष - शहीद हुए सैन्य कर्मियों की संख्या 2014 - 78 2015 - 109 2016 - 133 2017 - 137 2018 - 117 2019 - 57 2020 (14.9.2020 तक) - 738 ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवाने वाले सैन्य कर्मियों के परिवारों को कितना मुआवजा दिया गया? युद्ध हताहत (घातक) के संबंधियों के लिए मौद्रिक लाभों/पात्रता का विवरण बता दें कि ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवाने वाले सैन्य कर्मियों के परिवारों को दिए जाने वाले मुआवजे को तीन भागों में बांटा गया है।
सरकार द्वारा भुगता किया गया क्षतिपूर्ति/पेंशन/अंतिम बकाया (क) उदारीकृत कुटुंब पेंशन (एलएफपी): जैसा कि युद्ध हताहतों के लिए लागू है जो मृतक द्वारा प्राप्त अंतिम पारिश्रमिक के बराबर है। (ख) केन्द्रीय सरकार से अनुग्रह पर एक बार में दी जाने वाली क्षतिपूर्ति: (i) सेवा के दौरान दुर्घटना से होने वाले शहीद सैनिकों के लिए 25 लाख रुपए। (ii) आतंकवादियों आदि द्वारा हिंसा के चलते सेवा के दौरान हुई शहीद हुए सैनिकों के लिए 25 लाख रुपए। (iii) युद्ध में या सीमा पर झड़प या उग्रवादियों, आतंकवादियों आदि के विरुद्ध कार्रवाई के दौरान शहीद होने वाले सैनिकों के लिए 35 लाख रुपए। (iv) निर्दिष्ट ऊंचे स्थानों, दुर्गम सीमा चौकियों आदि पर तैनाती से प्राकृतिक आपदाओं, खराब मौसम के चलते सेवा के दौरान शहीद सैन्य कर्मियों के लिए 35 लाख रुपए। (v) अंतर्राष्ट्रीय युद्ध या युद्ध जैसी संलिप्तता में शत्रु कार्रवाई के दौरान शहीद सैनिक, जो खास तौर से अधिसूचित किए गए हैं उनके लिए 45 लाख रुप